नव प्रवर्तन निरंतर विकास के लिए आवश्यक है और प्रमुख चालकों में से एक नवाचार मानसिकता और संस्कृति है। युवाओं की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए उनको पिछले राष्ट्रीय और वैश्विक नवप्रवर्तकों की प्रेरक विरासतों को प्रदर्शित करने की आवश्यकता है। विज्ञान केंद्रों को इस संदेश को युवाओं और सभी तक पहुंचाने में भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (राविसंप), संस्कृति मंत्रालय का एक स्वायत्त संगठन एसपीओसीएस (विज्ञान की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए योजना) की योजना के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में विज्ञान नगरियों /विज्ञान केंद्रों और नवप्रवर्तन केन्द्रों की स्थापना की परियोजना को कार्यान्वित कर रहा है।.
विज्ञान नगरी/विज्ञान केंद्र, विज्ञान संग्रहालय और गैर-औपचारिक शैक्षिक संस्थान, जो संस्कृति मंत्रालय से वित्तीय अनुदान से अपने परिसर में एक नवप्रवर्तन केन्द्र स्थापित करने के इच्छुक हैं, निम्नलिखित लिंक पर एसपीओसीएस योजना विवरण प्राप्त कर सकते हैं:
https://www.indiaculture.gov.in/sites/default/files/Schemes/Revised_Guidelines_of_SPoCS_08_11_2021.pdf
रचनात्मकता को बढ़ावा देने और नवप्रवर्तन को प्रेरित करने वाले नवप्रवर्तन केद्रों को वर्तमान विज्ञान नगरियों /विज्ञान केंद्रों, विज्ञान संग्रहालयों और गैर-औपचारिक शैक्षिक संस्थानों में सह-स्थित किए जाएंगे। यह सह-स्थान न केवल इन केंद्रों के अधिक प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि समस्या समाधान और परियोजना आधारित शिक्षण (पीबीएल) को बढ़ावा देने में उनके उपयोग और भूमिका को फिर से परिभाषित करेगा और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवप्रवर्तन की प्रक्रिया में हैंड्स ऑन/व्यावहारिक शिक्षा और जुड़ाव प्रदान करते हैं।